सोनिया गांधी से विमर्श के बाद मिले संकेत        

खिलावन चंद्राकर,    भोपाल

मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अथवा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष पद में से कोई भी एक पद छोड़ सकते हैं। यह संकेत आज दिल्ली में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी के निवास पर हुई राजनीतिक विमर्श के बाद मिलने लगा है। इस सिलसिले में कमलनाथ अभी दिल्ली के प्रवास पर हैं ,जहां पार्टी के कई संतुष्ट और असंतुष्ट नेता सोनिया गांधी के निवास पर चर्चा के लिए पहुंचे हैं।

 

 

 बता दें कि अपने राजनीतिक भविष्य को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के कई बयान सामने आ चुके हैं । एक बार उन्होंने कहा था कि वह मध्य प्रदेश नहीं छोड़ रहे हैं, जबकि बाद में उन्होंने छिंदवाड़ा में कहा कि वह राजनीति से सन्यास भी ले सकते हैं। हालांकि बाद में उन्होंने इस बात का खंडन भी कर दिया था। इस बीच एक व्यक्ति एक पद की अवधारणा के पक्षधर कांग्रेसी नेताओं और कई विधायकों ने कमलनाथ से नेता प्रतिपक्ष अथवा प्रदेश अध्यक्ष में से किसी एक पद को छोड़ने का आग्रह भी परोक्ष रूप से किया था। कयास लगाया जा रहा है कि वे नेता प्रतिपक्ष अर्थात विधानसभा में कांग्रेस विधायक दल के नेता का पद छोड़कर किसी आदिवासी विधायक को यह महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंप सकते हैं। इसके लिए आने वाले दिनों में कांग्रेस विधायक दल की अहम बैठक बुलाई जा सकती है। 28 दिसंबर से मध्यप्रदेश विधानसभा का शीतकालीन सत्र शुरू हो रहा है इसके पहले ही इस मसले पर कोई अंतिम मुहर लग सकती है। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के उम्र दराज होने के कारण पार्टी नेता अब यह भी सवाल उठाने लगे हैं कि इस पद पर किसी नौजवान किंतु अनुभवी नेता को जिम्मेदारी दी जाए।

 

 

 संगठन में बदलाव के संकेत भी 

 

 

 प्रदेश के संगठन प्रभारी और राष्ट्रीय महासचिव मुकुल वासनिक और सह प्रभारी सुधांशु त्रिपाठी मध्य प्रदेश के दौरे में व्यस्त हैं। ऐसे में विधानसभा उपचुनाव में मिली करारी हार के बाद नगरी निकाय चुनाव के पहले कांग्रेस संगठन में बदलाव के संकेत भी मिलने लगा है। पूर्व संगठन प्रभारी द्वारा ताबड़तोड़ तरीके से जिस तरह संगठन में नियुक्तियां की गई है उस पर भी सवाल उठ चुका है। ऐसी दशा में नए सिरे से कांग्रेस संगठन के पदाधिकारियों की नियुक्ति की जा सकती है ताकि नगरी निकाय चुनाव में पार्टी अपनी लगातार गिर रही राजनीतिक प्रभाव को बढ़ा और मैदानी संगठन को मजबूत कर सकें। चुनाव में काले धन के उपयोग के मामले में मध्यप्रदेश में सियासी पारा चढ़ा हुआ है और दिल्ली तक इसकी चर्चा हो रही है। कयासों का दौर भी चल रहा है । ऐसे में कोई बड़ा फैसला मध्य प्रदेश को लेकर कांग्रेस पार्टी कर सकती है और बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है। लेकिन जो भी परिवर्तन होगा उसमें पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ की सहमति जरूरी मानी जा रही है इसलिए कांग्रेस नेताओं की दिल्ली बैठक से लौटने के बाद ही कोई निर्णय हो सकता है।

कानून करेगा अपना काम

लोकसभा चुनाव 2019 के दौरान मध्य प्रदेश के नेताओ द्वारा नगदी के लेनदेन को लेकर हो रहे खुलासों में कांग्रेस के कई बड़े नेताओं केसाथ सीबीडीटी की रिपोर्ट में सिंधिया समर्थक उन नेताओं के नाम भी सामने आ रहे हैं जो पहले कांग्रेस में थे लेकिन बाद मे बीजेपी में शामिल हो गए. कुछ नाम तो ऐसे हैं जो अभी शिवराज सरकार में मंत्री हैं या फिर बीजेपी से विधायक हैं. कैशकांड में कांग्रेस पर हमलावर हो रही बीजेपी आखिर इनको लेकर क्या स्टैंड अपना रही है? इस सिलसिले में बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा ने कहा कि कमलनाथ के काले और गोरखधंधों की वजह से ही उन नेताओं ने कांग्रेस छोड़ी थी. इस मामले में कोई भी लिप्त क्यों न हो कानून - अपना काम करेगा.  शर्मा ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि कांग्रेस का इतिहास रहा है भ्रष्टाचार का.शर्मा ने कहा कि दिग्विजय सिंह तो पहले से कहते रहे हैं कि चुनाव मैनेजमेंट से जीते जाते हैं. दिग्विजयसिंह ने धनबल बाहुबल से चुनाव जीतने की कोशिश की. वहीं कमलनाथ इस पूरे खेल के कर्ताधर्ता थे उन पर भी एफआईआर होनी चाहिए

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